सुभाषितमाला : आतुरो च पिता वैद्यः स्वस्थीभूते


सुभाषितमालांच्या एका व्हाट्सअप्प ग्रुपमध्ये एका मैत्रिणीच्या कृपेने सामील व्हायचा योग आला.  संस्कृत सुभाषिते कायम आवडीची राहिली आहेत.  व्हाट्सअप्पवरून ती वाहून जातील म्हणून इथे साठवून ठेवायचे ठरवले आहे.



१.


आतुरो च पिता वैद्यः स्वस्थीभूते च बान्धवः ।
गते  रोगे  कृते स्वास्थ्ये वैद्यो भवति  पालकः ।।
                   -महासुभषितसंग्रह (4541)

अर्थ -     बीमार व्यक्ति के लिये एक वैद्य (डाक्टर ) उसके पिता के समान होता है और स्वस्थ रहने की स्थिति में  एक  मित्र और रिश्तेदार  के समान होता है | परन्तु वैद्य द्वारा उपचार किये जाने के बाद  रोगमुक्त हो कर और स्वास्थ्य लाभ होने पर वैद्य उसके लिये  एक संरक्षक के समान  हो जाता  है |

Aaturo cha pita vaidyah svastheebhoote cha baandhavah.
Gate roge krute svaaasthyae vaidyo bhavati paalakah.

Aaturo = sick, suffering, 
Cha = and.   
Pitaa = father. 
Vaidyah =
a doctor practising Indian system of medicine.   
Svastheebhoote =
after recovering from illness and again becoming healthy. 
Baandhavah = a relative, friend. 
Gate = gone.   
Roge = illness.   
Krute = done.
Svaasthye= health. 
bhavati - becomes. 
Paalakah =  a guardian, a protector

For a sick person a doctor is like his father, for a healthy person doctor is like his friend or a relative. 
But when one gets cured of his ailment and regains his lost health by the treatment given by  the doctor, the doctor becomes his  guardian or a protector.


२.

अतिदानात् बलिर्बद्धः अतिमानात् सुयोधनः।
रावणेति मदान्नष्टः अति सर्वत्र वर्जयेत्।।

...अति दानामुळे बळीराजा बंदीत पडला, अति गर्वाने दुर्योधन नाश पावला, अति मदामुळे रावण संपला. म्हणून अति ते सर्व त्यागावे.

३.

येन यत्रैव भोक्त्तव्यं सुखं वा दुःखमेव वा।

स तत्र बद्‌ध्वा रज्ज्वेव बलाद्दैवेन नीयते॥

सुख या दुख जो- जिसे- जहाँ भोगना है, भाग्य रस्सी से बाँधकर अनजाने से वहाँ खिंचकर ले जाता है।

३.

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