जिन्हे नाझ है हिंद पर वो कहां है????
रोज स्त्री वरील अत्याचाराच्या इतक्या भयाण बातम्या येताहेत कि आजची बातमी वाचली कि काल याच्यापेक्षा मवाळ वाटायला लागतो. कालच्यापेक्षा आज नीचतम पातळी गाठलेली दिसते. अशा वेळी 50 वर्षांपूर्वी लिहिलेलं हे गाणं परत परत आठवत रहातं.
ये बीवी भी है और बहन भी है, माँ भी
मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत, ज़ुलेखां की बेटी
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं
ये कूचे, ये नीलामघर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवाँ ज़िन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ है, मुहाफ़िज़ ख़ुदी के
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
ये पुरपेच गलियाँ, ये बदनाम बाज़ार
ये ग़ुमनाम राही, ये सिक्कों की झन्कार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
ये सदियों से बेख्वाब, सहमी सी गलियाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियाँ
ये बिकती हुई खोखली रंग-रलियाँ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खाँसी की ठन-ठन
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख फ़िकरे
ये ढलके बदन और ये बीमार चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
यहाँ पीर भी आ चुके हैं, जवाँ भी
तनोमंद बेटे भी, अब्बा, मियाँ भी
ये बीवी भी है और बहन भी है, माँ भी
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
मदद चाहती है ये हौवा की बेटी
यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत, ज़ुलयखां की बेटी
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?
ज़रा मुल्क के रहबरों को बुलाओ
ये कुचे, ये गलियाँ, ये मंजर दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर उनको लाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं???
Movie/Album: प्यासा (1957)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी
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